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मूवी रिव्यू: रेट्रो (2025)

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Movie Review : Retro (2025)

Director : Karthik Subbaraj
Cast : Suriya, Pooja Hegde, Joju George, Prakash Raj, Nasser, Jayaram
Genre : Action Thriller, Gangster Drama
Duration : 2 Hours 48 Minutes
Rating : (3.5/5)

कहानी :
‘रेट्रो’ की कहानी पारीवेल “पारी” कन्नन (सूर्या) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अनाथ है और एक गैंगस्टर द्वारा पाला गया है। वह अपने हिंसक अतीत को छोड़कर अपनी खोई हुई प्रेमिका रुक्मिणी (पूजा हेगड़े) के साथ एक शांतिपूर्ण जीवन की तलाश में है। हालांकि, एक रहस्यमय पंथ और एक भविष्यवाणी उसके भाग्य में बाधाएं उत्पन्न करते हैं। फिल्म विश्वासघात, नियति और मोचन जैसे विषयों की पड़ताल करती है।

अभिनय :
सूर्या ने पारीवेल के रूप में एक प्रभावशाली प्रदर्शन दिया है, जो उनके करियर की एक मजबूत वापसी मानी जा सकती है। पूजा हेगड़े ने रुक्मिणी के किरदार में अपनी भूमिका को अच्छी तरह से निभाया है। सहायक कलाकारों में जोजू जॉर्ज, जयाराम और प्रकाश राज ने भी अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी है।

निर्देशन और पटकथा :
कार्तिक सुब्बाराज ने फिल्म को एक स्टाइलिश और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। हालांकि, फिल्म का दूसरा भाग कुछ हद तक कमजोर महसूस होता है, जिससे कहानी की गति प्रभावित होती है।

तकनीकी पक्ष :
संतोष नारायणन का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के भावनात्मक और एक्शन दृश्यों को सशक्त बनाते हैं। श्रीयास कृष्णा की सिनेमैटोग्राफी और शफीक मोहम्मद अली की एडिटिंग फिल्म को तकनीकी रूप से मजबूत बनाती है।

खास बातें :
1. सूर्या का दमदार अभिनय।

2. संतोष नारायणन का प्रभावशाली संगीत।

3. 15 मिनट का सिंगल-शॉट सीक्वेंस।

4. बनारस की जीवंत पृष्ठभूमि

कमजोर कड़ियाँ :
1. कहानी का धीमा दूसरा भाग।

2. कुछ दृश्यों में स्पष्टता की कमी।

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फिल्म के चर्चित डायलॉग्स :
1. “तानाशाह सबसे बड़े डरपोक होते हैं।” (फिल्म में एक शक्तिशाली संवाद जो सत्ता और भय के संबंध को उजागर करता है।)

2. “प्यार में कोई ‘रिटेक’ नहीं होता, लेकिन जिंदगी में ‘कट’ तो लग सकता है।” (प्यार और जीवन के बीच के जटिल संबंध को दर्शाता है।)

3. “हर गोली की आवाज़ में एक कहानी होती है, और हर खामोशी में एक साजिश।” (हिंसा और चुप्पी के बीच के संबंध को दर्शाता है।)

4. “मैं अतीत से भाग नहीं रहा, मैं भविष्य की ओर बढ़ रहा हूँ।” (मुख्य पात्र के आत्म-प्रकाशन का प्रतीक।)

5. “कभी-कभी, सबसे बड़ा युद्ध खुद से होता है।” (आत्म-संघर्ष और आत्म-स्वीकृति की थीम को दर्शाता है।)

निष्कर्ष :
‘रेट्रो’ एक स्टाइलिश एक्शन-थ्रिलर है जो सूर्या के प्रभावशाली प्रदर्शन और संतोष नारायणन के संगीत के कारण देखने लायक है। हालांकि, कहानी की गति में उतार-चढ़ाव और कुछ दृश्यों की अस्पष्टता फिल्म की प्रभावशीलता को कम करती है।

देखें या न देखें :
यदि आप सूर्या के प्रशंसक हैं और एक स्टाइलिश एक्शन-थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो ‘रेट्रो’ एक बार देखी जा सकती है।

रेटिंग : (3.5/5)

~Review by : Aman Mishra, Senior Journalist & Film Critic

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